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जिस मुकाम पर आज दलित है कभी पहुंच ही पाते ना

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भीमाबाई के लाल जो धरा के ऊपर धाते ना,
गुलामी की जंजीरों से हम दलित मुक्त हो पाते ना, 
भीमराव अंबेडकर जी, जो जग में अलख जगाते ना,
हम ना होते पढ़े लिखे और बच्चों को पढ़ाते ना,
संविधान लिख कर बाबा साहब जो नाम कमाते ना, 
दुनिया भर में बाबा साहब भारत रत्न कहाते ना, 
बाबा साहब हम सबको जो सही राह दिखलाते ना,
जिस मुकाम पर आज दलित है कभी पहुंच ही पाते ना, 
ए.पी, एम.एल.ए, दूर की बांते, हरगिज पास बिठाते ना, 
गले लगाना सपना समझो केवल हाथ मिलाते ना,
संविधान में हम सब के खातिर जो जगह बनाते हैं ना, 
तो मदन मधुर फिर शीश उठाकर सन्मुख आपके गाते ना।
                              मदन लाल 'मधुर' (कवि, लेखक)

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