भोपाल

रानी कमलापति के नाम से जाना जायेगा हवीवगंज रेलवे स्टेशन

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रानी कमलापति के नाम से जाना जायेगा   हवीवगंज  रेलवे स्टेशन

भोपाल से संपादित लवली खनूजा एवं वैंकटेश शारदा की रपट ,

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 नवंबर को इसका लोकार्पण करेंगे। बता दें रानी कमलापति भोपाल की अंतिम गोंड आदिवासी शासक थीं।
16वीं शताब्दी में गोंड शासकों का भोपाल पर शासन था। कमलापति की शादी भोपाल से 50 किलोमीटर दूर स्थित गिन्नौरगढ़ रियासत के गोंड राजा निजाम शाह से हुई थी। वो निजाम की सात पत्नियों में से एक थीं। कहा जाता है कि सातों पत्नियों में कमलापति राजा की सबसे प्रिय रानी थीं और ऐसा उनकी खूबसूरती की वजह से था। वो इतनी खूबसूरत थीं कि उनकी तुलना परियों से की जाती थी। उस वक्त एक कहावत काफी प्रचलित थी कि 'ताल तो भोपाल ताल और रानी में रानी  कमलापति'
आलम शाह, निजाम शाह का भतीजा था और उसका शासन बाड़ी पर था। आलम को अपने चाचा निजाम शाह से काफी ईर्ष्या थी। निजाम शाह की दौलत, संपत्ति पर तो उसकी नजर थी ही, लेकिन कमलापति की खूबसूरती भी वह मरता था। रानी की सुंदरता से वो खुद को बचा नहीं पाया। कहते हैं कि आलम शाह रानी कमलापति पर फिदा था और उसने रानी से अपने प्यार का इजहार भी किया था। लेकिन रानी ने उसके प्यार को ठुकरा दिया था।
जलन में आलम शाह ने एक दिन अपने चाचा को खाने में जहर मिलाकर खिला दिया। राजा निजाम की मौत हो गई। पति की मौत के बाद खुद और अपने बेटे नवल शाह को सुरक्षित रखने के लिए रानी ने गिन्नौरगढ़ छोड़ दिया। इकलौते बेटे के साथ वो भोपाल के रानी कमलापति महल में रहने लगीं। वो आलम शाह से पति की मौत का बदला लेना चाहती थीं लेकिन ना तो उनके पास संसाधन थे और ना ही फौज। ऐसे में वो हरदम इस उधेड़बुन में होती थीं कि कैसे इसे पूरा किया जाए 
मोहम्मद खान जगदीशपुर पर हुकूमत कर रहा था। इसके अलावा वो एक तनख्वादार मुलाजिम था, जो पैसे के बदले लोगों की मदद किया करता था। वो कभी-कभी जगदीशपुर से भोपाल के बड़े तालाब में मछलियों का शिकार करने आया करते था। उस वक्त यह तालाब रानी की जागीर हुआ करता था और यहां मछलियों का शिकार करना मना था। जब यह बात रानी तक पहुंची तो उन्होंने आदेश दिया कि अगर अगली बार मोहम्मद शिकार करने आए तो उन्हें उनके सामने पेश किया जाए। कुछ दिनों बाद मोहम्मद खान फिर शिकार करने आए और उन्हें रानी के दरबार में पेश किया गया। कहा जाता है कि रानी कमलापति शिकायत भूल मोहम्मद खान की दोस्त बन गईं। बाद में उन्होंने मोहम्मद को अपने पति की मौत के बारे में बताया और बदला लेने के लिए मदद मांगी।
मोहम्मद खान पैसे के बदले लोगों की मदद करता था और ऐसी ही शर्त उसने रानी के सामने भी रखी। एक लाख रुपए की रकम तय हुई। फिर दोस्त मोहम्मद ने बाड़ी पर हमला कर आलम शाह को मार दिया। रानी का बदला तो पूरा हुआ, लेकिन शर्त के अनुसार तय राशि वो मोहम्मद को नहीं दे पाईं। एक लाख के बदले में रानी ने दोस्त मोहम्मद को भोपाल का एक हिस्सा दिया। लेकिन मोहम्मद की इच्छा इतने पर खत्म ना हुई वो भोपाल पर शासन करना चाहता था।
भोपाल पर कब्जा करने के लिए उसने रानी कमलापति के बेटे नवल शाह से युद्ध किया। ऐसा कहा जाता कि उस युद्ध में इतना खून बहा कि वहां की धरती लाल हो गई थी और उसी वजह से उस जगह को लालघाटी बुलाते हैं। इस युद्ध में नवल शाह को मोहम्मद ने हराकर भोपाल पर कब्जा कर लिया।

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