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पंजाब में भाजपा , सिरोमणी अकाली दल और कैप्टन अमरिंदर सिंह मिलकर विधानसभा चुनाव में एक साथ हो सकतें हैं

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पंजाब में भाजपा , सिरोमणी अकाली दल और कैप्टन अमरिंदर सिंह मिलकर विधानसभा चुनाव में एक साथ हो सकतें हैं 

भोपाल से संपादित राधावल्लभ शारदा एवं पंजाब से लीलाधर शर्मा की रपट,
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  तीनों कृषि कानून को वापस लेने का ऐलान कर दिया। इसके बाद अब पंजाब में किसानों की नाराजगी झेल रही बीजेपी के लिए चुनावी समीकरणों में भी बदलाव हो सकते हैं। अटकलें यह भी हैं कि बीजेपी अपनी पुरानी सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के साथ एक बार फिर से गठबंधन कर सकती है क्योंकि दोनों के बीच रिश्ते टूटने की वजह यानी कृषि कानून ही अब वापस लिए जा चुके हैं। ऐसे में पंजाब में नए-नए प्रयोग कर के अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश में जुटी कांग्रेस की टेंशन एक बार फिर से बढ़ गई है क्योंकि इस बार पार्टी की पारी संभालने के लिए 'कप्तान' यानी अमरिंदर सिंह भी नहीं हैं, बल्कि वह बीजेपी से गठबंधन के संकेत पहले ही दे चुके हैं। ऐसे में कांग्रेस ने फिलहाल राज्य में 'वेट एंड वॉच' की पॉलिसी अपना ली हैं हालांकि, गुरुपूरब के पावन दिन यह घोषणा करना अपने आप में यह संदेश है कि बीजेपी पंजाब की जनता की नाराजगी को भी दूर करना चाहती है। 
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एक कांग्रेसी नेता के मुताबिक,  'फिलहाल, हमें भरोसा है कि यह फैसला हमारे लिए नुकसानदेह नहीं होगा लेकिन हमें कुछ समय रुक कर यह देखना होगा कि पंजाब की जनता इसको लेकर क्या प्रतिक्रिया देती है। पंजाबी प्रतिक्रियाशील मतदाता हैं। देखते हैं।'
कांग्रेस पहले ही कैप्टन अमरिंदर सिंह पर नजर रखे हुए है, जिन्होंने हाल ही में अपनी नई पार्टी का ऐलान किया है और यह भी कहा है कि वह अगले चुनावों में बीजेपी का साथ देंगे। अब कांग्रेस में अंदरखाने यह चिंता बढ़ गई है कि अगर अकाली दल और बीजेपी फिर से साथ आ जाते हैं, तो यह कांग्रेस के लिए अच्छे संकेत नहीं होंगे, खासतौर पर शहरी सीटों पर। एक नेता ने कहा, 'शहरी सीटों पर, जहां व्यापारी किसानों के आंदोलन से नाराज है, वहां अकाल और बीजेपी के फिर से गठबंध का कांग्रेस पर असर पड़ सकता है।' उन्होंने यह भी कहा कि इससे राज्य में जट सिखों का भी ध्रुवीकरण हो सकता है क्योंकि कांग्रेस ने हाल ही में एक एससी समुदाय के नेता को मुख्यमंत्री बनाया है।
हालांकि, शिरोमणि अकाली दल के चीफ सुखबीर सिंह बादल ने शुक्रवार को यह साफ कहा कि वह बीजेपी से किसी भी कीमत पर गठबंधन नहीं करेंगे, लेकिन कांग्रेस ऐसा मानने को तैयार नहीं है। कांग्रेस का मानना है कि दोनों दल कृषि कानून के मुद्दे पर ही अलग हुए थे और अब यह मसला सुलझ गया है। इसलिए बीजेपी और अकाली दल कभी भी साथ आ सकते हैं

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