कासगंज (अजय चौहान) : जनपद के नदरई गाँव के निवासी राजेश के घर दिमागी बुखार का कहर टूट रहा है, इनके पांच वर्षीय बेटे दीपक की इसी दिमागी बुखार मेनिनजाइटिस से मौत हो चुकी है, दो बेटियां सात वर्षीय मोहनी और नौ वर्षीय चांदनी सरकारी अस्पताल मे भगवान के भरोसे जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रही है, मामले में बेहतर इलाज के लिए बाहर ले जाने की सलाह डॉक्टर ने दी है परंतु गरीबी के चलते ये इनका इलाज बाहर नही करा पा रहे हैं ,आज मीडिया के सामने अपने बच्चों की सलामती के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि इनको कोई समाजसेवी या सरकारी योजना का सहारा मिल जाये तो ये दोनों बच्चियों की जिंदगी बचा सकें।
ये दिल को दहलाने वाले समाचार की कवरेज करते समय मीडियाकर्मी भी इस परिवार की गुहार पर भावुक हो गए,
सवाल इसलिए अहम है कि जब प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत गरीबों को पांच लाख तक मुफ्त इलाज के लिए आयुष्मान कार्ड लगातार बनाने पर सरकार जोर दे रही है तो फिर ये कार्ड किन लोगों को इलाज दिला रहे हैं, मुख्यमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत भी मुफ्त इलाज की सरकार ने व्यवस्था की है , जब इस मामले में मौजूद डॉक्टर दिनेश शर्मा से पूछा तो उन्होंने बताया कि ये मेनिनजाइटिस का केस है जिसकी जांच की व्यवस्था और दवाई यहाँ उपलब्ध नही है इनको अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज को रैफर किया था अब पता नही किन कारणों की वजह से इनका वहां इलाज संभव नही हो पाया है।
सवाल ये है कि आखिर इस संक्रमण वाली बीमारी से गांव मे और भी बच्चे ग्रसित हो सकते हैं तो क्या कोई मेडिकल टीम वहाँ जिला प्रशासन द्वारा भेजी गई, जबाब ना ही मिलेगा , क्योंकि जब तक कोई बड़ी घटना घटित न हो जाये ये प्रशासनिक मसीनरी हरकत मैं नही आती है।
डिप्टी सी एम बृजेश पाठक सरकारी चिकित्सालयों की व्यवस्था को सुधारने मैं लगातार प्रयासरत हैं पर जब बीमारियों से बचाने के लिए उपयुक्त दवाई और जॉच की व्यवस्था इन अस्पतालों मैं नही होगी तो फिर इनसे क्या उम्मीद आम जनता करेगी।
पीड़ित पिता राजेश ने बताया कि इसी रोग के चलते उसके एकमात्र पुत्र दीपक उम्र 5 वर्ष की मौत हो चुकी है और शेष दोनों बेटियों को रोजाना जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ते हुए देख रहा हूँ।
मीडिया के माध्यम से अपील की है कि उसको कोई सरकारी इमदाद मिल जाये तो इन बच्चियों की जिंदगी बचा सके।