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आरक्षण माथे का कलंक, कहा- कॉमन स्कूलिंग सिस्टम के बाद इसकी ज़रूरत नहीं -- मांझी*

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*आरक्षण  माथे का कलंक, कहा- कॉमन स्कूलिंग सिस्टम के बाद इसकी ज़रूरत नहीं -- मांझी*
 भोपाल से संपादित लवली खनूजा एवं वेदप्रकाश रस्तोगी की रपट *
 जीतन राम मांझी ने आरक्षण को बताया माथे का कलंक, कहा- कॉमन स्कूलिंग सिस्टम के बाद इसकी ज़रूरत नहीं  है ।

 आरक्षण को लेकर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने एक बड़ी बात कही है. मांझी ने कहा कि आरक्षण दलितों के माथे पर एक कलंक जैसा चिपक गया है जो भीख में दी गई चीज़ लगने लगी है. मांझी ने कहा कि अगर देश में कॉमन स्कूलिंग सिस्टम लागू हो जाए तो दस साल बाद आरक्षण की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी. जीतन राम मांझी दिल्ली में अपनी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भाषण दे रहे थे. मांझी ने कहा कि आरक्षण के ज़रिए नौकरी पाए व्यक्ति को बार बार हीन भावना से देखा जाता है और उसकी काबिलियत पर सवाल उठाए जाते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि आरक्षण देकर एहसान किया गया हो. मांझी ने याद दिलाया था कि ख़ुद भीमराव अंबेडकर ने दस साल पर आरक्षण की व्यवस्था की समीक्षा की बात कही थी.

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