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सीडीएस बिपिन रावत ने किया खुलासा , सरदार वल्लभ भाई पटेल तिब्बत को आजाद देखना चाहते थे

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सीडीएस बिपिन रावत ने किया खुलासा , सरदार वल्लभ भाई पटेल तिब्बत को आजाद देखना चाहते थे 
भोपाल से संपादित राधावल्लभ शारदा एवं दिल्ली से वेदप्रकाश रस्तोगी की रपट ,
पाकिस्तान और चीन की ओर से सीमाओं पर की जाने वाली हरकतों को लेकर सेना को सतर्क रहने की जरूरत है। इसके साथ ही हमें विवादित सीमा क्षेत्रों में सैनिकों की अधिक तैनाती बनाए रखने की जरूरत है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने एक कार्यक्रम में बोलते हुए यह बात कही। उन्होंने सरदार पटेल मेमोरियल लेक्चर को संबोधित करते हुए कहा, 'देश के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल बेहद दूरदर्शी थे और वह तिब्बत को एक स्वतंत्र देश के तौर पर देखा चाहते थे। उनका मानना था कि यदि तिब्बत स्वतंत्र देश के तौर पर भारत और चीन के बीच बफर स्टेट रहेगा तो हमारे लिए खतरे कम होंगे।'
उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने देश के पहले पी एम पंडित जवाहर लाल नेहरू से बातचीत में यह बात कही थी। देश के सेनाध्यक्ष रह चुके बिपिन रावत ने कहा, 'इतिहास यह बताता है कि देश में जब भी सैन्य बलों को नजरअंदाज किया गया है तो फिर दूसरे देशों ने उसका फायदा उठाया है।' बिपिन रावत ने कहा कि देश ने 1950 में यह गलती की थी और इसका खामियाजा हमें 1962 में चीन के आक्रमण के तौर पर झेलना पड़ा था। उन्होंने कहा कि हमें उसके बाद से कई बार चीन से झड़प का सामना करना पड़ा है। 
जनरल बिपिन रावत ने कहा कि 1962 के बाद चीन से सिक्किम के नाथू ला में झड़प हुई थी। इसके बाद 1986 में वांगदुंग में दोनों सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं। फिर 2017 में डोकलाम में भारत और चीन की सेनाओं के बीच करीब दो महीने तक तनातनी की स्थिति थी। बता दें कि तिब्बत ने चीन पर 1950 में कब्जा जमा लिया था और उसके बाद चीन की भारत के कई राज्यों से सीमाएं लगती हैं। पूर्वोत्तर भारत के अरुणाचल प्रदेश से लेकर उत्तर भारत के लद्दाख तक भारत एक लंबी सीमा चीन के साथ साझा करता है।

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