लखनऊ : ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने की घटना पर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रतन लाल ने अपने सोशल मीडिया के जरिए एक पोस्ट लिखी थी। इस पोस्ट के बाद कुछ तथाकथित लोगों की भावनाएं आहत हो गयी, जिसके बाद में इन लोगों ने प्रोफेसर रतन लाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई हैं।
प्रोफेसर रतन लाल ने अपने पोस्ट को लेकर मीडिया के साथ बातचीत में कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं लिखा है, प्रोफेसर ने कहा कि वो माफी नहीं मांगेंगे और अपनी बात को कोर्ट में रखेंगे। उन्होंने एक बार फिर से दोहराते हुए कहा कि जो शिवलिंग की बात कही जा रही है वह तोड़ा हुआ नहीं लग रहा है, काटा हुआ लग रहा है।
प्रोफेसर रतन लाल के द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखने के बाद से लगातार उनको धमकियां मिल रही हैं, यहां तक उन्हे जान से मारने की भी धमकी मिल रही है। प्रोफेसर रतन लाल ने कल ही राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग की है, साथ ही उन्होने यह भी मांग की है कि उन्हे आत्मरक्षा के लिए AK 56 का लाइसेंस देने का काम किया जाए।
ट्वीटर पर ट्रेंड कर रहा #WesupportProfRatanlal
आज सुबह से ही प्रोफेसर रतन लाल ट्वाटर पर ट्रेंड कर रहें है। उनके समर्थन में हजारों लोग ट्वीटर पर #WesupportProfRatanlal लिख रहे हैं। समर्थन में दिलीप मंडल लिखते हैं कि इतिहास के आंबेडकरवादी विद्वान डॉ. रतनलाल सर के ट्वीट पर मेरी वही प्रतिक्रिया है जो गांधी की थी - “दलितों पर हमने इतना अत्याचार किया कि तीखा और बुरा बोलना तो छोड़िए, अगर वे हमारा सिर भी फोड़ तो हमें बुरा नहीं मानना चाहिए।” गांधी में लाख बुराइयाँ थीं, पर ये बात उन्होंने ठीक कही थी। हिंदू धर्म की दलित आलोचना ऐतिहासिक अन्याय और अत्याचार की प्रतिक्रिया है। उसे बर्दाश्त करना चाहिए। इसकी तुलना उन आलोचनाओं से नहीं हो सकती जो इस्लामिक या ईसाई नज़रिए से भी होती है। दूसरे तरह की आलोचना में प्रतिद्वंद्विता होती है। गांधी से पहले तक की दलितों को हिंदू नहीं माना जाता था। लेकिन गांधी समझ गए थे कि अंग्रेजों के जाने के बाद वोट से सरकार बनेगी और हिंदुओं की इतनी संख्या है नहीं कि आराम से सरकार चला सकें। इसलिए गांधी ने दलितों को साथ लिया और उनकी गालियाँ सुनने पर भी सहमति दी। अलग निर्वाचन रोकने के लिए गांधी जान पर खेल गए। दलितों का उन्होंने पर्मानेंट नुक़सान कर दिया। बंदा बहुत तेज था। और साहसी भी। हिंदू धर्म का जितना बड़ा काम गांधी ने किया, उसकी बराबरी पूरे इतिहास में किसी से नहीं हो सकती।
मंडल आर्मी सामाजिक न्याय मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिरुद्ध सिंह विद्रोही लिखते है कि प्रोफेसर रतन लाल साहब ने सत्य ही तो कहा है और जहां सत्य है वहां शिव है और शिव ही सुंदर है जहां शिव है वहां मैं हूं.... भावार्थ यह हुआ कि रतनलाल सत्य के साथ हैं शिव सत्य है मैं शिव के साथ अर्थात रतनलाल साहब के साथ हूं। "सत्यम शिवम् सुंदरम"
आखिर पूरा मामला है क्या
दिल्ली के हिन्दू कॉलेज में इतिहास के एसोसिएट प्रोफ़ेसर के पद पर कार्यरत रतन लाल ने फेसबुक पर एक लिंक साझा करते हुए लिखा, “यदि यह शिव लिंग है तो लगता है शायद शिव जी का भी खतना कर दिया गया था। वहीं तस्वीर का क्रेडिट लल्लनटॉप (PC: The Lallantop) को दिया था।