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गरीब बच्चों को मोबाइल एवं लेपटॉप, सुप्रीम कोर्ट का केन्द्र एवं दिल्ली सरकार को निर्देश ,

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गरीब बच्चों को मोबाइल एवं लेपटॉप,
सुप्रीम कोर्ट का केन्द्र एवं दिल्ली सरकार को निर्देश ,
**भोपाल से संपादित राधावल्लभ शारदा एवं जिग्नेश पटेल की रपट टिप्पणी के साथ --- बहुत बहुत महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है परन्तु बहुत देर के बाद बच्चे सिर्फ दिल्ली के ही पूरे देश में पढ़ते है जिसमें गरीबों की संख्या अधिक है अतः सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाना चाहिए और यह निर्णय देश के समस्त प्रदेशों में लागू कराने के लिए किसी एनजीओ को आगे आना चाहिए *

देश में एक ऐसा भी तबका है जिसके पास पढ़ने का यह साधन नहीं है। इसी बात को मद्देनज़र रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार को निर्देश दिए है. कोर्ट ने कहा है कि ऑनलाइल क्लास के लिए राज्य और केंद्र सरकार को जिम्मेदारी लेकर छात्रों को सुविधा देनी चाहिए.

इस कोरोना महामारी में बच्चों की पढ़ाई को लेकर सभी पैरेंट्स काफ़ी फिक्रमंद हैं, और यह फिक्र जायज़ भी है क्योंकि इसके कारण बच्चों की पढ़ाई का काफ़ी नुकसान हुआ है. अगर बात करें मध्य वर्ग, उच्च वर्ग और शहरों में रहने वालों की, तो मोबाइल फोन और लेपटॉप की सुविधा होने के करण वहां बच्चे पढ़ने में सक्षम हैं.
लेकिन देश में एक ऐसा भी तबका है जिसके पास पढ़ने का यह साधन नहीं है। इसी बात को मद्देनज़र रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार को निर्देश दिए है. कोर्ट ने कहा है कि ऑनलाइल क्लास के लिए राज्य और केंद्र सरकार को जिम्मेदारी लेकर छात्रों को सुविधा देनी चाहिए. 
साथ ही कोर्ट ने कहा डिजिटल डिवाइस ने कोरोना महामारी के दौरान संगीन नतीजे पैदा किए,  क्योंकि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को शिक्षा के अधिकार से वंचित कर दिया गया था, वे ऑनलाइन क्लास के लिए कंप्यूटर का खर्च नहीं उठा सकते. ऐसे में केंद्र और दिल्ली सरकार को उन्हें सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए.

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने शुक्रवार को केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर पूछा कि गरीब बच्चों को ऑनलाइन क्लास की सहूलियत कहां से मिलेगी और इसके लिए पैसा कहां से आएगा, दिल्ली की हालत तो फिर भी बेहतर हो सकती है लेकिन गांव और आदिवासी इलाकों में रहने वाले बच्चों के बारे में सोचने की ज़रूरत है। वहां भारी तादाद में बच्चे स्कूस छोड़ रहे हैं. यह काफ़ी संगीन मामला है राज्य को इस पर विचार करना चाहिए 
इस दिक्कत पर आगे बात करते हिए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हमने देखा है की हमारे ड्राइवर के बच्चे किस तरह से एक फोन से क्लास कर रहे थे. अगर किसी के पास दो बच्चे हैं तो उनके पास इतना पैसा नही है की वो दो लैपटॉप या स्मार्ट फोन खरीदें और और फिर इंटरनेट का भी खर्च दें. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका का दायरा निजी स्कूलों से बढ़ा कर दिल्ली के सभी स्कूलों के लिए कर दिया है. कोर्ट का ये मानना की सभी स्कूलों में गरीब बच्चे पढ़ते हैं और उन सब के लिए मोबाइल एवं लेपटॉप वितरण करना चाहिए ।
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