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भारत की सरकार को देश के विकास कार्य के लिए विभिन्न टैक्स देने वालों का 135 करोड़ एवं 60 घंटे संसद में हंगामा करने वालों ने बर्बाद किए l

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भारत की सरकार को देश के विकास  कार्यों के लिए विभिन्न टेक्स देने वालों का रुपए 133 करोड़ एवं 60 घंटे संसद में हंगामा करने वालों ने बर्बाद किया ।

**भोपाल से संपादित राधावल्लभ शारदा के द्वारा **
 देश की जनता को सोचना होगा कि संसद हों या विधानसभा में किस तरह के प्रतिनिधियों को भेजना चाहिए ,संसद और विधानसभा में देश की जनता एवं देश के विकास कार्यों पर चर्चा होती है । संसदीय सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार  राज्यसभा में तीसरे हफ्ते 8 बिल पास हुए, सदन का कामकाज बढ़कर 24% हुए ।
संसद के मानसून सत्र के तीसरे हफ्ते में विपक्षी दलों के हंगामे के बीच 8 विधेयक पास हुए। इससे सदन के कामकाज में बढ़ोतरी हुई। यह दूसरे हफ्ते के 13.70% से बढ़कर 24.20% हो गया। 19 जुलाई को शुरू हुए सत्र के पहले हफ्ते में कामकाज सबसे ज्यादा 32.20% हुआ था। तीसरे हफ्ते में हंगामे की वजह से 21 घंटे, 36 मिनट बर्बाद हुए।
राज्यसभा के एक अधिकारी ने बताया कि मानसून सत्र के अभी तक तीन हफ्ते में सदन ने कुल 22.60% कामकाज किया है। जो 8 विधेयक पास हुए हैं, उनमें सदन ने 3 घंटे और 25 मिनट का समय लिया।
78.30 घंटे में से 60.28 घंटे हंगामे में बर्बाद हुए ।
तीसरे हफ्ते राज्यसभा की कार्यवाही के लिए तय 28.30 घंटे के प्रश्नकाल में से 1.41 घंटे काम हुआ। सत्र शुरू होने से अब तक कुल 78.30 घंटे में से 60.28 घंटे हंगामे में बर्बाद हुए। तीन हफ्ते में कुल 17.44 घंटे काम हुआ। 4.49 घंटे विधेयकों पर चर्चा हुई और 3.19 घंटे प्रश्नकाल चला। कोरोना से जुड़े मुद्दों पर 4.37 घंटे तक चर्चा हुई। पहले दो हफ्तों में राज्यसभा की 9 बैठकों के दौरान केवल 1.38 घंटे ही प्रश्नकाल चला था ।
दोनों सदनों में हंगामे की वजह से कई बिल बिना बहस के ही पास हुए। यह स्वस्थ लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। सदन स्पीकर ने भी सांसदों को यह बार-बार याद दिलाया, लेकिन कोई खास असर होता नहीं दिखा। विपक्ष के कुछ नेताओं ने भी इस चलन का विरोध किया।
17 दलों के 68 सदस्यों ने विधेयकों पर चर्चा में लिया हिस्सा
आंकड़ों के मुताबिक राज्यसभा में पिछले हफ्ते 17 राजनीतिक दलों के 68 संसद सदस्यों ने विधेयकों पर चर्चा में हिस्सा लिया। नामित और इन 17 दलों के कुल सदस्य राज्यसभा के मौजूदा कुल सदस्यों के 87% हैं। जबकि विभिन्न मुद्दों पर हंगामा कर रहे तृणमूल कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल के सदस्यों की संख्या राज्यसभा में 6% से कम है।
इन पार्टियों के सदस्य बहस में शामिल हुए
विधेयकों पर चर्चा में अन्नाद्रमुक, आम आदमी पार्टी, बीजू जनता दल  भारतीय जनता पार्टी , कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी , मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी , द्रमुक, जनता दल यूनाइटेड , राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल , RPI, शिवसेना, तेलुगु देशम पार्टी , तृणमूल कांग्रेस, तेलंगाना राष्ट्र समिति  और YSR कांग्रेस के सदस्यों ने हिस्सा लिया।
मानसून सत्र की शुरुआत से कार्यवाही हर दिन बाधित हो रही है। कांग्रेस सहित दूसरे विपक्षी दल जासूसी कांड, तीन नए कृषि कानून और महंगाई के मुद्दों पर हंगामा कर रहे हैं। वे इन मसलों पर चर्चा कराने की मांग कर रहे हैं। जबकि सरकार का कहना है कि विपक्ष संसद नहीं चलने देना चाहती।
पहले और दूसरे हफ्ते में18 घंटे ही हुआ कामकाज
मानसून सेशन का पहला और दूसरा हफ्ता मिलाकर दोनों सदनों में 18 घंटे ही कामकाज हो सका, जो कि 107 घंटे होना चाहिए था। लोकसभा में 7 घंटे और राज्यसभा में 11 घंटे कामकाज हुआ। कामकाज न होने से टैक्सपेयर्स का 133 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।
मेरा अपना अभीमत है कि अब देश की जनता को सोचना होगा कि संसद में कैसे व्यक्तियों को अपना अमूल्य वोट देकर भेजें ।

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