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बहू:अपर्णा यादव ने पहली बार अमेठी में जनसभा को संबोधित किया, कहा-नेताजी बोलेंगे तो लडूंगी चुनाव

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बहू:अपर्णा यादव ने पहली बार अमेठी में जनसभा को संबोधित किया, कहा-नेताजी बोलेंगे तो लडूंगी चुनाव

भोपाल से संपादित राधावल्लभ शारदा एवं उत्तर प्रदेश से प्रेमशंकर अवस्थी की रपट, संपादक की टिप्पणी ---- हम आजादी का अमृत महोत्सव मनाने जा रहें हैं परन्तु राजा रजबाडो़ की तरह परिवार वाद के पिंजरे में कैद हुए है । मैं अभी बात कर रहा हूं उत्तर प्रदेश की । मुलायम सिंह , मायावती , सोनिया गांधी इनके परिवार से ही लोक सभा या विधानसभा चुनाव के लिए सदस्य तय रहता है क्षेत्र वह होता है जहां से जीतने की गारंटी होती है । अब मुलायम सिंह के परिवार से बहु अपर्णा यादव को मैदान में उतारा जाना तय है परन्तु अपर्णा यादव का कहना है कि नेताजी के आदेश का पालन किया जाना है ।
राहुल गांधी को हराने के लिए भाजपा ने लोकसभा उम्मीदवार बनाया था पहली बार हार का सामना करना पड़ा, परन्तु भाजपा एवं स्मृति ईरानी ने हार नहीं मानी और घर बैठने के स्थान पर लोकसभा क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया जिसका प्रतिफल प्राप्त हुआ और राहुल गांधी को हरा दिया । स्मृति ईरानी से सबक लेकर सभी नेताओं को मैदान में काम करना चाहिए हार और जीत काम पर छोड़ देना चाहिए ।
उत्तर प्रदेश --अमेठी का नाम सामने आते ही गांधी परिवार आगे आता है , 2019 में राहुल गांधी को हराकर भाजपा की स्मृति ईरानी जहां अमेठी से सांसद बन गई हैं। वहीं, सपा ने भी अमेठी को अपना गढ़ बनाने की कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए सपा ने अमेठी में स्मृति से मुकाबला करने के लिए अपर्णा यादव को उतारा है। यहां पहुंच कर अपर्णा यादव से सवाल हुआ कि क्या आप तिलोई से विधानसभा चुनाव लड़ेंगी ? तो उन्होंने कहा कि नेता जी (मुलायम सिंह यादव) कहेंगे तो चुनाव जरूर लड़ूंगी।
मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव भी आज रविवार को पहली बार अमेठी पहुंची हैं। यहां तिलोई विधानसभा में उन्होंने सपा कार्यकर्ताओं से संवाद किया। उन्होंने जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने मंच से कहा कि चुनाव लड़ना या न लड़ना राष्ट्रीय अध्यक्ष तय करेंगे। लेकिन मैं वादा करती हूं जायस से समाजवादी पार्टी का डंका बजेगा। मां भवानी का आशीर्वाद लेकर हम आए हैं यह विफल नही होगा। इससे अमेठी का सियासी पारा बढ़ गया है।
वहीं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी अमेठी का एक दिवसीय दौरा करके वापस लौटी तो मुलायम की छोटी बहू अपर्णा यादव  अहोरवा भवानी मंदिर में पहुंची। यहां उन्होंने मां अहोरवा का दर्शन कर माथा टेका और मां अहोरवा की आरती के साथ प्रार्थना कर पूजन कर आशीर्वाद लिया। इसके बाद उन्होंने जनसभा को संबोधित किया।
सियासी हलकों में चर्चा है कि अपर्णा यादव अमेठी की तिलोई विधानसभा से चुनाव लड़ सकती है। दरअसल, जानकार बताते हैं कि अमेठी में स्मृति ईरानी को टक्कर देनी है तो किसी मजबूत महिला को उनके सामने उतरना पड़ेगा। यही वजह है कि 2022 में अमेठी पर कब्जा करने के लिए सपा ने अपर्णा यादव को स्मृति इरानी के सामने उतारा है। मुलायम परिवार की बहू होने के नाते अपर्णा यादव का जिले की सभी सीटों पर अच्छा प्रभाव हो सकता है। बताते चलें कि इससे पहले अपर्णा यादव 2017 का चुनाव लखनऊ कैंट विधानसभा से लड़ चुकी हैं। वहां वह रीता बहुगुणा जोशी से हार गई थीं 
वहीं स्मृति ईरानी ने अमेठी पर कब्जा करने के लिए खूब मेहनत की है। 2014 में राहुल गांधी से हारने के बाद भी स्मृति ने अमेठी को छोड़ा नहीं। वह यहां आती जाती रही। इसका नतीजा यह हुआ कि पहले 2017 में विधानसभा की 3 सीट भाजपा के खाते में गई। फिर 2019 में राहुल गांधी को हराकर अमेठी की सांसद बनी। इसके साथ ही उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी जगह मिल गई। अब 2022 विधानसभा चुनावों में सपा उनके लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है।
यूपी का 2022 विधानसभा चुनाव कांग्रेस प्रियंका गांधी के नेतृत्व में लड़ रही है। अभी हाल ही में उन्होंने महिलाओं के लिए 7 वादे किए हैं। ऐसे में उनकी नजर अपने खोई हुई जमीन पर भी है। माना जा रहा है कि जल्द ही प्रियंका गांधी भी इस त्रिकोणीय मुकाबले के लिए अमेठी का दौरा करेंगी।
अमेठी को गांधी परिवार का गढ़ कहा जाता रहा है। संसदीय सीट पर तो गांधी परिवार का कब्जा 2014 तक रहा, लेकिन विधानसभा सीटों पर पकड़ कम होती गई। यहां सपा, बसपा और भाजपा को जीत मिलती रही है। 2017 में कांग्रेस यहां जीरो हो गई है। जबकि भाजपा को 3 सीट और सपा को एक सीट पर जीत हासिल हुई है। 
तिलोई विधानसभा सीट पहले रायबरेली जिले में आती थी। बाद में अमेठी का गठन होने पर इसमें शामिल कर दिया गया। यदि हम पिछले 3 चुनावों पर नजर डालें तो इस विधानसभा सीट पर भाजपा, सपा और कांग्रेस काबिज रह चुके हैं। जबकि बसपा इस सीट पर नहीं जीती है। तिलोई विधानसभा सीट पर 1991 तक कांग्रेस का कब्जा रहा है।
1993 में मयंकेश्वर शरन सिंह ने इस सीट पर जीत दर्ज की और कांग्रेस के विजय रथ को रोककर भाजपा का खाता खोला। 1996 में सपा के मो. मुस्लिम यहां से विधायक चुने गए।वहीं 2002 में मयंकेश्वर शरन सिंह दोबारा भाजपा से विधायक बने। 2007 में मयंकेश्वर शरन सिंह ने पाला बदला और सपा के साइकिल पर विधानसभा पहुंचे। वहीं 2012 में कांग्रेस के टिकट पर मो. मुस्लिम विधायक बने। 2017 में मयंकेश्वर शरण सिंह ने फिर भाजपा का दामन थामा और इस सीट पर कमल खिलाया।

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