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तीन कृषि कानून के बाद नई सूची तैयार चीन, अर्धसैनिक बल और पेगासस के साथ अन्य मुद्दे

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तीन कृषि कानून के बाद नई सूची तैयार चीन, अर्धसैनिक बल और पेगासस के साथ अन्य मुद्दे 

भोपाल से संपादित राधावल्लभ शारदा एवं लवली खनूजा की रपट,
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैसे ही तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा की, तो लोगों ने उसे साहसिक कदम बताया। जिन व्यक्तियों या संगठनों की मांगें लंबे समय से अधूरी पड़ी हैं, एकाएक उन्हें अपनी 'सुनवाई' की उम्मीद नजर आने लगी। इस उम्मीद की पंक्ति में जहां एक तरफ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम हैं, जो अपने पिटारे में 'चीन, पेगासस, राफेल और जीएसटी' लिए हुए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री के लिए एक सूची तैयार कर दी। उसमें ये सारे मुद्दे रख कर चिदंबरम ने पीएम से सवाल किया है कि वे इन्हें स्वीकार करें।
दूसरी ओर, केंद्रीय अर्धसैनिक बल हैं। इन्होंने भी अपनी दिक्कतों को लेकर साफ कर दिया है कि अगर ये मांगें पूरी नहीं हुईं तो आगामी चुनाव में वोट नहीं मिलेगा। एसएससीजीडी 2018 के 55 हजार मेडिकल फिट युवा जो एक साल से दिल्ली की सड़कों पर ज्वाइनिंग के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से गुहार लगा रहे हैं, उन्होंने भी प्रधानमंत्री मोदी से अपील की है कि जिस तरह उन्होंने तीन कृषि कानूनों की वापसी के एलान के बाद किसानों को घर जाने और अपने खेत संभालने के लिए बोला है, वैसे ही उन्हें भी सिपाही का नियुक्ति पत्र देकर घर जाने के लिए कहा जाए।
क्या बोले देश के पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम
प्रधानमंत्री द्वारा कृषि कानून वापस लिए जाने के बाद देश के पूर्व वित्त एवं गृह मंत्री रहे पी चिदंबरम ने सोशल मीडिया के जरिए अपनी मांगों वाली सूची प्रधानमंत्री के समक्ष पेश कर दी। उन्होंने पहली लाइन में लिखा, अगला चुनाव हारने का डर है, तो पीएम को ये सब करना होगा। इसके बाद कांग्रेस नेता ने सिलसिलेवार तरीके से प्रधानमंत्री के समक्ष अपनी मांगें रख दीं। उन्होंने लिखा, स्वीकार करें कि जीएसटी कानूनों को खराब तरीके से तैयार एवं लागू किया गया था। स्वीकार करें कि चीनी सैनिकों ने भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की है और हमारी भूमि पर कब्जा कर लिया है। स्वीकार करें कि नोटबंदी एक हिमालयी जैसी भूल थी। स्वीकार करें कि नागरिकता संशोधन कानून एक स्पष्ट रूप से भेदभावपूर्ण कानून है। स्वीकार करें कि राफेल विमान सौदा बेईमानी भरा था और इसकी जांच की आवश्यकता है। स्वीकार करें कि पेगासस स्पाइवेयर का अधिग्रहण और उपयोग अवैध था।
किसान की औसत आय 27 रुपये प्रतिदिन रह गई है: सोनिया गांधी  
कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री के साहसिक कदम पर उन्हें कई नसीहत दे डालीं। उन्होंने लिखा कि लगभग 12 महीने के गांधीवादी आंदोलन के बाद देश के 62 करोड़ अन्नदाताओं-किसानों-खेत मजदूरों के संघर्ष व इच्छाशक्ति की जीत हुई। आज उन 700 से अधिक किसान परिवारों की कुर्बानी रंग लाई, जिनके परिवारजनों ने न्याय के इस संघर्ष में अपनी जान न्योछावर की। आज सत्य, न्याय और अहिंसा की जीत हुई। पिछले सात सालों से भाजपा सरकार ने लगातार खेती पर अलग-अलग तरीके से हमला बोला है। आज जब भारत सरकार के एनएसओ के मुताबिक, किसान की औसत आय 27 रुपये प्रतिदिन रह गई हो और देश के किसान पर औसत कर्ज 74,000 रुपये हो, तो सरकार व हर व्यक्ति को दोबारा सोचने की जरूरत है कि खेती किस प्रकार से सही मायनों में मुनाफे का सौदा बने। किसान को उसकी फसल की सही कीमत यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य 'एमएसपी' कैसे मिले। किसान व खेत मजदूर को यातना नहीं, याचना भी नहीं, न्याय और अधिकार चाहिये। उम्मीद है कि मोदी सरकार ने कम से कम भविष्य के लिए कुछ सीख ली होगी। सोनिया गांधी ने लिखा, देश के प्रधानमंत्री मोदी, भाजपा सरकार, अपना राजहठ व अहंकार छोड़कर किसान कल्याण की नीतियों को लागू करने की ओर ध्यान देंगे।
केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के पूर्व कर्मियों की प्रदर्शन की चेतावनी
कॉन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का एक साहसिक कदम उठाया है। महासचिव रणबीर सिंह कहा, प्रधानमंत्री ने धारा 370, 35ए और तीन तलाक का खात्मा किया, वैसे ही सीसीएस रूल का खात्मा किया जाए। इसकी वजह से पैरामिलिट्री फोर्स के जवानों को सिविलियन फोर्स का दर्जा दिया गया है। उन्होंने कहा कि सीएपीएफ में पेंशन बहाली, वन रैंक-वन पेंशन, सीपीसी कैंटीन पर सौ फीसदी की जीएसटी छूट, राज्यों में अर्धसैनिक कल्याण बोर्ड का गठन, अर्धसैनिक झंडा दिवस कोष की स्थापना, एक्स मैन/शहीद का दर्जा, ओजीएएस को संवैधानिक दर्जा, कैडर आफिसर्स को फोर्सेस डीजी बनाने व अन्य भलाई से संबंधित मुद्दों को लेकर 14 फरवरी 2021 को बापू की समाधि राजघाट पर शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन किया जाएगा। एग्जीक्यूटिव कैडर के अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट से प्राप्त और कैबिनेट में पास हुए ओजीएएस व एनएफएफयू को सही अर्थों में 'अन्य केंद्रीय सेवाओं की भांति' लागू किया जाए। केंद्रीय गृह मंत्री का सौ दिन छुट्टी का आश्वासन जमीन पर लागू करें। शहीद की विधवा 'वीर नारी' को राज्य सरकारें, अनुकंपा में शहीद की रैंक के अनुसार 'समान स्केल' पर नियुक्ति प्रदान करें।
एसएससी-जीडी 2018 के मेडिकल फिट अभ्यर्थी लंबे समय से दिल्ली में धरना दे रहे हैं। इन अभ्यर्थियों ने राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री तक गुहार लगाई है, लेकिन अभी तक इन्हें नियुक्ति पत्र नहीं मिल सका। सरकार की तरफ से किसी तरह का कोई आश्वासन भी नहीं दिया गया। रणबीर सिंह कहते हैं कि इन अभ्यर्थियों ने लिखित, शारीरिक व मेडिकल परीक्षा उत्तीर्ण की है। इनका परिणाम चौथे वर्ष में आया था। इससे दूसरे चांस के लिए इनकी आयु निकल गई। एसएससी ने केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में सिपाहियों के पदों के लिए नई भर्ती प्रक्रिया 2021 शुरू कर दी है, जबकि 2018 की भर्ती प्रक्रिया के 55 हजार मेडिकल फिट युवा मौजूद हैं। प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह किया है कि केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में जो एक लाख से अधिक रिक्तियां हैं, वहां पर इन युवाओं को भर्ती किया जाए। इस नियुक्ति से बजट में कोई बड़ा घाटा नहीं होने वाला है, बल्कि इससे देश की आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा व्यवस्था ज्यादा मजबूत होगी। अभ्यर्थियों का कहना है, वे अपने घरों को लौटने के लिए तैयार हैं, बशर्ते उनके बदन पर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की वर्दी हो।

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