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दस्‍ताबेज का अंबार देख नाराज सुप्रीम कोर्ट ने कहा- क्या हमें परेशान करना है आपका मकसद?

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दस्‍ताबेज का अंबार देख  नाराज सुप्रीम कोर्ट ने कहा- क्या हमें परेशान करना है आपका मकसद?
   
भोपाल से संपादित राधावल्लभ शारदा एवं जिग्नेश पटेल की रपट,
अमेजन-फ्यूचर रिटेल मामले के बाद दायर याचिकाओं में पक्षकारों की ओर से भारी मात्रा में दस्तावेज दाखिल करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है. कोर्ट ने मंगलवार को नाखुशी जताते हुए कहा कि क्या मकसद सिर्फ मामले को लंबे समय तक खींचना या जजों को प्रताड़ित करना है. साथ ही, कोर्ट ने दस्तावेजों का एक साझा और संक्षिप्त संकलन मांगा है.
चीफ जस्टिस एन. वी. रमण, जस्टिस ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की बैंच ने पक्षकारों के वकीलों से कम मात्रा में दस्तावेज दाखिल करने को कहा, ताकि मुद्दे को सुलझाया जा सके और मामले की अगली सुनवाई आठ दिसंबर के लिए लिस्टेड कर दी.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा, ‘मुझे दुख के साथ आप सभी से कहना पड़ रहा है कि रिकॉर्ड के 22-23 सेक्शन दाखिल करने में क्या आनंद मिलता है. दोनों पक्षों ने बार-बार कितनी संख्या में दस्तावेज दाखिल किये हैं और क्या यह मामले को महज लंबा खींचने या फिर न्यायाधीशों को प्रताड़ित करने के मकसद से किया गया है.’ फ्यूचर ग्रुप की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि यह पूरी तरह से गैरजरूरी है और सुझाव दिया कि दोनों पक्ष चर्चा कर सकते हैं. साथ ही शॉर्ट लिखित नोट के साथ एक साझा दस्तावेज दाखिल कर सकते हैं.
बैंच ने कहा, ‘दस्तावेजों के सेक्शन ढूंढने में समस्या है, हमें कुछ समय दीजिए. एक काम करिये, क्या आप जिन दस्तावेजों पर भरोसा कर रहे हैं उनका एक संक्षिप्त संकलन तैयार कर सकते हैं. भारी मात्रा में कल दस्तावेज दाखिल किये गये.’ इस बीच, बैंच ने आईडीबीआई ट्रस्टशिप को अपनी याचिका वापस लेने की इजाजत दे दी और कहा कि वह अपनी याचिका के साथ दिल्ली उच्च न्यायालय जा सकता है.
यह याचिका फ्यूचर रिटेल शेयर पर हाई कोर्ट की ओर से लगाई गई रोक हटाने की मांग करते हुए दायर की गई थी. शीर्ष न्यायालय, दिल्ली हाई कोर्ट के हालिया आदेश के खिलाफ फ्यूचर ग्रुप की एक नई याचिका पर सुनवाई कर रहा है. हाई कोर्ट ने फ्यूचर ग्रुप की याचिका स्वीकार करने से इनकार कर दिया था जिसके जरिये सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (एसआईएसी) के इमरजेंसी फैसले में दखल करने से एक मध्यस्थता ट्रिब्यूनल के फैसले पर रोक लगाने की मांग की गई थी.

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