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40 साल में ऐसी अराजकता कभी नहीं देखी - मनीष तिवारी

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40 साल में ऐसी अराजकता कभी नहीं देखी - मनीष तिवारी

*भोपाल से संपादित राधावल्लभ शारदा एवं पंजाब से लीलाधर शर्मा की रपट *

मनीष तिवारी के हमले के बाद बैकफुट पर नवजाेत सिद्धू , बाेले- अब मूल मुद्दों पर लौटे कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने हरीश रावत और पंजाब कांग्रेस के अध्‍यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू पर निशाना साधा है। उन्‍होंने कहा कि पंजाब कांग्रेस में जो कुछ कुछ हो रहा है वैसा 40 साल में नहीं देखा। इसके बाद सिद्धू ने कहा कि अब कांग्रेस मूल मुद्दों पर लौटेे।
  कांग्रेस में चल रही अंतरकलह के बीच पार्टी के सांसद मनीष तिवारी ने पूर्व प्रदेश प्रभारी हरीश रावत और नवजोत सिंह सिद्धू पर निशाना साधा है। मनीष तिवारी ने कहा है कि पंजाब कांग्रेस में जो  कुछ हो रहा है वैसी अराजकता 40 वर्षों में नहीं देखी। इसके बाद पंजाब कांग्रेस अध्‍यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू बैकफुट पर आते दिखाई दिए। उन्‍होंने कहा है कि कांग्रेस को अब मूल मुद्दोंं पर लौटना चाहिए।  
बता दें कि पंजाब के मंत्री और नेता पूर्व सीएम कैप्‍टन अमरिंदर सिंह की पाकिस्‍तानी मित्र अरूसा आलम को लेकर बयानबाजी कर रहे हैं। माना जा रहा है कि सिद्धू ने इसे रोकने के लिए यह बयान दिया है। 
     पिछले दिनों पंजाब के उपमुख्‍यमंंत्री सुखजिंदर सिंंह रंधावा ने कैप्‍टन अमरिंदर सिंह की पाकिस्‍तानी  मित्र अरूसा आलम का मुद्दा उठाया और ट्वीट कर कहा कि आरूसा आलम के पाकिस्‍तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ से संंबंध की जांच के डीजीपी को आदेश दिए गए हैं। इसके बाद कैप्‍टन अमरिंदर सिंह की टीम व शिरोमणि अकाली दल ने उन पर निशाना साधा और रंधावा खुद घिरते दिखे। 
रंधावा ने सफाई दी कि इस मामले की जांच केंद्र सरकार ही करा सकती है। इसी बीच कांग्रेस नेताओं की अरूसा मामले पर बयानबाजी जारी रही। पंजाब के परिवहन मंत्री अमरिंदर सिंह राजा वडिंग और नवजोत सिद्धू की पत्‍नी डा. नवजोत कौर सिद्धू ने भी अरूसा मामले में कैप्‍टन अमरिंदर सिंह पर हमला किया।       
 रविवार को इस विवाद पर मनीष तिवारी ने ट्वीट किया और हरीश रावत व नवजोत सिंह सिद्धू पर हमला किया। तिवारी ने  लिखा, 40 वर्षों में मैने ऐसी अराजकता कभी नहीं देखी। वहीं, प्रदेश प्रधान पद से इस्तीफा दे चुके नवजोत सिंह सिद्धू ने भी अपनी बात को रखने के लिए ट्वीट का ही सहारा लिया। आरूसा आलम मामले में कांग्रेस नेताओं की बयानबाजी पर लगाम लगाने के लिए सिद्धू आगे आए और ट्वीट में लिखा कि हमें वास्तविक मुद्दों पर वापस आना चाहिए। हम वित्तीय आपातकाल का मुकाबला कैसे करेंगे, जो हमारे लिए बड़ी चुनौती है।
दोनों ही नेता के ट्वीट से पंजाब कांग्रेस में उठापटक और घमासान थमता नहीं दिख रहा है। क्योंकि, कांग्रेस 2022 के चुनाव को लेकर सारा नजला कैप्टन अमरिंदर सिंह पर गिराने में जुटी हुई है। इसी क्रम में डिप्टी उप मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा कैप्टन की महिला मित्र अरुसा आलम को लेकर खासे मुखर हैं। वहीं, कैप्टन अमरिंदर सिंह और हरीश रावत लगातार ट्वीट कर  एक दूसरे पर हमले कर रहे हैं।
कैप्टन अमरिंदर सिंह के करीबी सांसद माने जाने वाले सांसद मनीष तिवारी ने पंजाब कांग्रेस में विवाद व घमासान के लिए पूर्व प्रभारी हरीश रावत और नवजोत सिंह सिद्धू को जिम्मेदार ठहराया है।  पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष और उनके सहयोगी हाईकमान की खुली अवहेलना कर रहे हैं, बच्चों की तरह एक-दूसरे के साथ सार्वजनिक रूप से झगड़ रहे हैं। एक-दूसरे के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। क्या हम सोचते हैं कि पंजाब के लोग इस ‘नौटंकी’ से घृणा नहीं करते हैं? 
बेअदबी, नशा, बिजली और अवैध रेत खनन वो मुद्दे है जिन्हें लेकर कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ कांग्रेस के विधायकों व मंत्रियों ने बगावत शुरू की थी। इस बगावत के कारण कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा देना पड़ा लेकिन मनीष तिवारी ने इस मुद्दे को पुन: उठा कर बता दिया है कि यह मुद्दे अभी भी वहीं पर खड़े है।
इसके बाद पंजाब कांग्रेस के अध्‍यक्ष नवजाेत सिंह सिद्धू पूरे मामले पर बैकफुट पर आते नजर आए।  
 13 सूत्रीय एजेंडे और कैप्टन अमरिंदर सिंह को फसल विविधीकरण के जरिये अंबानी को पंजाब में एंटी दिलवाने को लेकर आलोचना करने वाले नवजोत सिंह सिद्धू ने ट्वीट कर लिखा है कि हमें अब वास्तविक मुद्दों पर वापस आना चाहिए। क्‍यों कि  कांग्रेस के मंत्री पिछले दो दिनों से कैप्टन की महिला मित्र अरुसा आलम को लेकर लगातार हमले कर रहे है।
सिद्धू ने लिखा कि हमें पंजाब के वास्तविक मुद्दों पर वापस आना चाहिए, जो हर पंजाबी और हमारी आने वाली पीढिय़ों से जुड़े हैं। सिद्धू ने कहा, हम वित्तीय आपातकाल का मुकाबला कैसे करेंगे जो हमारे लिए बड़ी चुनौती है। मैं असली मुद्दों पर डटा रहूंगा। स्वार्थी लोगों को दूर करें और केवल उस रास्ते पर ध्यान केंद्रित करें जो पंजाब को जीत की ओर ले जाए। राज्य के संसाधनों को निजी जेब में जाने के बजाय उन्हें कौन वापस लाएगा? राज्य के पुनरुत्थान की पहल का नेतृत्व कौन करेगा।
सिद्धू के वित्तीय आपातकाल का मुद्दा उठाए जाने को मुफ्त की चीजों को सरकार द्वारा दिए जाने से जोड़ कर देखा जा रहा है। चूंकि मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने बकाया बिल माफी की घोषणा की है। जिस पर सरकार 1200 करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ उठाएगी। सिद्धू शुरू से ही सस्ती बिजली का मुद्दा उठा रहे है और वहीं, उनके मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्‍नी के साथ संबंध भी मधुर नहीं ।

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