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लखनऊ में डेरा डालेंगी प्रियंका, लखीमपुर खीरी कांड को भुनाने की तैयारी

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लखनऊ में डेरा डालेंगी प्रियंका, लखीमपुर खीरी कांड को भुनाने की तैयारी
लखीमपुर खीरी कांड को लेकर प्रियंका गांधी की सियासी दांव ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के जिंदा होने का सबूत दे दिया। इसके साथ ही अब कांग्रेसियों की लंबे समय से हो रही मांग भी पूरी होने वाली है। कांग्रेस महासचिव लखनऊ में अपने जिस रिश्तेदार के घर पर ठहरती हैं वहां उनके लिए खास इंतजाम कर लिए गए हैं क्योंकि प्रियंका अब चुनाव तक लखनऊ में ही रूकने वाली है

लखीमपुर खीरी कांड में पीड़ितों को इंसाफ दिलाने और आरोपियों की गिरफ्तारियों की मांग को लेकर प्रियंका गांधी ने यूपी में जिस तरह के तेवर दिखाएं हैं उससे पार्टी  कार्यकर्ताओं में एक नई जान आ गई है। साथ ही कांग्रेस ने प्रदेश में विपक्ष पर भी अपनी बढ़त ली है। रविवार को बनारस में किसान रैली का आयोजन करके प्रियंका गांधी ने एक तरह से यह संदेश भी दे दिया है कि वे अब रूकने वाली नहीं हैं। प्रियंका और पार्टी दोनों ने इस मुद्दे को चुनाव तक भुनाने की तैयारी कर ली है।

कौल हाऊस तैयार
किसान आंदोलन को अपना मुख्य एजेंडा बनाते हुए प्रियंका गांधी ने कांर्यकर्ताओं में जो सियासी गर्माहट भर दी है उसके बाद उन्होंने अब लखनऊ में ही डेरा डालने का फैसला किया है। 

लखनऊ की दलित बस्ती लवकुश नगर में झाड़ू लगातीं कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी।

कांग्रेस के युवा नेता ने बताया कि प्रियंका गांधी ने हमें साफ कहा है कि वे अब कहीं नहीं जाने वाली हैं बल्कि लखनऊ में ही रहेंगी। कार्यकर्ता और नेता जब चाहें उनसे मिल सकते हैं। युवा नेता ने यह भी बताया कि हमारी नेता का साफ संदेश है कि किसान आंदोलन को लेकर यह सरकार जिस तरह किसानों को गाड़ियों से कुचल रही है यह बात हम गांव-गांव पहुंचाएं और इस सरकार का असली चेहरा सबके सामने लेकर आएं 
हालांकि बुंदेलखंड के नेता जो हाल में ही सपा में शामिल हो गए हैं उनका कहना है कि प्रियंका नीचे के किसी कार्यकर्ताओं और छोटे पदाधिकारियों से नहीं मिलतीं हैं और ना ही उनकी टीम के लोग मिलने देते हैं। वे पार्टी में वरिष्ठ नेताओं की कोई कद्र नहीं करतीं इसलिए उनके यहां रहने और न रहने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला क्योंकि बिना जमीनी कार्यकर्ताओं से मिले उन्हें असली जमीनी रिपोर्ट नहीं मिलेगी।

उनके मुताबिक केवल प्रियंका गांधी के जुझारूपन से सीटें नहीं मिलेंगी। जब तक कि एक मजबूत संगठनात्मक नेटवर्क उनके साथ नहीं हो लेकिन अब तक उनके प्रयास केवल राज्य में पार्टी को पुनर्जीवित करने और खुद को इंदिरा गांधी के रूप में पेश करने के इर्द-गिर्द ही घूमती दिखती है।

लखीमपुर खीरी कांड से कांग्रेस ने ली बढ़त    
राजनीति के जानकार कहते हैं इस कांड के कारण यूपी के साथ-साथ दूसरे राज्यों में भी विपक्ष को भाजपा के खिलाफ आक्रमक होने का मौका मिला है जिसमें कांग्रेस सबसे आगे दिखाई दे रही है। खासतौर पर यूपी में प्रियंका ने हाथरस से लेकर लखीमपुर खीरी कांड तक में  जिस तरह की सियासी फुर्ती दिखाई उससे प्रदेश में कांग्रेस के जीवित रहने का संकेत तो मिला ही साथ ही इससे भाजपा और सपा के माथे पर भी बल पड़े 

लखनऊ की दलित बस्ती लवकुश नगर में झाड़ू लगातीं कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी

कितनी बदलेगी पार्टी की किस्मत
लेकिन क्या 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रियंका गांधी वाड्रा का लखीमपुर खीरी दौरे से भाजपा को नुकसान होगा? इस बारे में राजनीतिक पर्यवेक्षक यह मानते हैं कि उन्होंने यूपी में अपने पैर जमीन पर मजबूती से टिका लिए हैं और खुद को स्ट्रीट-फाइटर मोड पर स्विच कर लिया है। 1970 के दशक में अपनी दादी इंदिरा गांधी और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की स्टाइल-शीट से उधार लेते हुए, उन्होंने लखीमपुर खीरी जिले के रास्ते में यूपी पुलिस का सामना किया, पुलिस ने उन्हें धक्का दिया तो उन्होंने दहाड़ लगाई (जिसका वीडियो वायरल हुआ)। लखनऊ से लगभग 90 किलोमीटर दूर सीतापुर के एक गेस्ट हाउस में नजरबंद रहीं।

इन सभी घटनाओं से देश में चर्चा हुई और इसमें कोई शक नहीं है कि लखीमपुर खीरी मुद्दे पर एकमात्र राजनेता प्रियंका गांधी ही रहीं और उन्होंने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को भी अवाक कर दिया। यह उनके लिए व्यक्तिगत जीत का क्षण था और हो सकता है भाजपा को थोड़ा-बहुत नुकसान हो जाए लेकिन यह शायद ही 2022 के चुनावों में उनकी पार्टी की किस्मत बदलने के लिए पर्याप्त हो।

सपा का वोट काटने के लिए प्रियंका के प्रति नरमी
वहीं सपा के एक नेता ने कहा कि सरकार ने प्रियंका गांधी ने जिस तरह हाउस अरेस्ट के बाद भी टेलीविजन चैनलों को इंटरव्यू दिए, जिस कमरे में उन्हें हिरासत में लिया गया था, उसके फर्श पर झाड़ू लगाने उसकी क्लिप बना कर उसे वायरल किया गया, उन्हें वापिस लखनऊ क्यों नहीं लाया गया? जाहिर तौर पर यह कुछ ऐसे सवाल है जिससे यह संदेश पैदा होता है कि प्रियंका गांधी के साथ यह नरमी क्यों बरती गई? क्या सिर्फ इसलिए कि भाजपा को कांग्रेस से कोई खतरा नजर नहीं आ रहा बल्कि सपा को वह अपना असली प्रतिद्वंदी मानती हैं। प्रियंका की सियासत से सपा के वोट बैंक में कटौती हो इसलिए ऐसा किया गया। 

कांग्रेस को कोई फायदा नहीं मिलेगा
एक सर्वे में भी कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में लखीमपुर खीरी कांड के बाद भी कांग्रेस को चुनाव में कोई खास फायदा नहीं  मिलेगा और पार्टी को केवल तीन से सात सीटें मिल सकती हैं। भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर से सरकार बना सकती है। सर्वे में दावा किया गया है कि भाजपा के खाते में 241 से 249 सीटें आ सकती हैं। वहीं सपा के हिस्से में 130 से 138 सीटें तो बसपा को 20 से कम सीटें मिलने के आसार हैं।

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