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नौकरशाही 'जड़' हो चुकी है, सब कुछ अदालत से करवाना चाहती है

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नौकरशाही 'जड़' हो चुकी है, सब कुछ अदालत से करवाना चाहती है

भोपाल से संपादित राधावल्लभ शारदा एवं दिल्ली से वेदप्रकाश रस्तोगी की रपट,
 
नौकरशाही में निष्क्रियता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जमकर फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि नौकरशाही खुद कुछ नहीं करना चाहती और केवल यह चाहती है कि सभी फैसले अदालत करे।
सर्वोच्च न्यायालय 
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि नौकरशाही जड़ हो चुकी है और कोई फैसला नहीं लेना चाहती है, यह चाहती है कि सब कुछ अदालत करे। शीर्ष अदालत ने कहा, 'यह उदासीनता है और केवल उदासीनता है।' यह टिप्पणी मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने नौकरशाही को निष्क्रियता के लिए फटकार लगाते हुए की। 
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'एक न्यायाधीश और महाधिवक्ता के रूप में मैं लंबे समय से जो देख रहा हूं कि उससे मुझे लगता है कि नौकरशाही ने एक तरह की जड़ता विकसित कर रही है। वह कोई फैसला नहीं लेना चाहते। कोई कार कैसे रोकी जाए, वाहन कैसे जब्त किया जाए, आग कैसे बुझाई जाए... वो चाहते हैं कि सब कुछ अदालत करे।'
पीठ ने कहा कि वायु प्रदूषण के मुद्दे पर केंद्र की बैठक मंगलवार को हुई थी। इसने कहा कि क्या वो बैठक के अहम बिंदुओं के बारे में नहीं बता सकते हैं कि ये निर्देश हमने पारित किए हैं जिससे अदालत का कीमती समय बच सके। मुख्य न्यायाधीश के अलावा सुप्रीम कोर्ट की पीठ में न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और सूर्यकांत भी शामिल थे।
किसानों को पराली हटाने वाली मशीन मुफ्त में देने की मांग
सुप्रीम कोर्ट ने यह बात वायु प्रदूषण के संबंध में पर्यावरण कार्यकर्ता आदित्य दुबे और कानून के छात्र अमन बांका की ओर से दाखिल की गई एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कही। इस याचिका में शीर्ष अदालत से छोटे और सीमांत किसानों को पराली हटाने वाली मशीन मुफ्त में मुहैया कराने के लिए उचित निर्देश देने की मांग की गई है

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