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एयर इंडिया से सरकारी बाबुओं ने उधारी पर लिए प्लेन के टिकट,

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एयर इंडिया से सरकारी बाबुओं ने उधारी पर लिए प्लेन के टिकट, 

टाटा समूह  का हिस्सा बन जाने के बाद एयर इंडिया ने हवाई टिकट पर क्रेडिट फैसिलिटी को रोक दिया है। यानी विमानन कंपनी एयर इंडिया से अब भारत सरकार के अधिकारी या मंत्री फ्री में सफर नहीं कर सकेंगे। उन सरकारी अधिकारियों को भी पैसे चुकाने होंगे, जिनकी यात्रा का खर्च भारत सरकार उठाती है। लिहाजा सरकार ने अपने सभी मंत्रालयों/विभागों से विमानन कंपनी का बकाया तुरंत चुकाने को कहा है।
​अभी तक क्या दे रही थी सुविधा 
एयर इंडिया में साल 2009 से ऐसी सुविधा थी कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय हवाई उड़ानों के मामले में भारत सरकार के मंत्रालयों/विभागों के अधिकारी सरकारी खर्च पर यात्रा कर सकते थे। हवाई सफर की टिकट का खर्च बाद में एयर इंडिया और सरकार के बीच में सेटल होता था। अब सरकार ने एयर इंडिया का विनिवेश कर दिया है और यह टाटा समूह के पास वापस जा चुकी है। इसलिए विमानन कंपनी ने हवाई टिकट की खरीद पर क्रेडिट फैसिलिटी बंद कर दी है। जारी किए गए मेमोरेंडम में कहा गया है कि मंत्रालय/विभाग के अधिकारी अगले निर्देश तक एयर इंडिया की टिकट कैश के जरिए खरीद ससकते है
31 अगस्त 2021 तक एयर इंडिया पर कुल 61,562 करोड़ रुपये का कर्ज था। इसमें से 268.8 करोड़ रुपये की उधारी सरकार पर है। न्यूज लॉन्ड्री की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस महीने की शुरुआत में एक्टिविस्ट कमोडोर लोकेश बत्रा के अनुरोध पर एयर इंडिया ने एक आरटीआई का जवाब दिया था। इस जवाब में कहा गया कि 31 मार्च 2021 तक एयर इंडिया के बकाया बिलों में भारत सरकार का 268.8 करोड़ रुपये का बकाया है। इसमें से अकेले वित्त मंत्रालय के सीमा शुल्क आयुक्त पर एयरलाइन का 64 करोड़ रुपये बकाया हैं। संचार मंत्रालय के तहत डाक विभाग पर 31 करोड़ रुपये का बकाया है। लोकसभा सचिवालय के कार्यकारी अधिकारी के कार्यालय में 17 करोड़ रुपये बकाया हैं, इसके बाद भारतीय नौसेना के रक्षा खातों के नियंत्रक पर 16.8 करोड़ रुपये हैं।
​गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय पर भी बकाया 
आंकड़ों की मानें तो 31 जुलाई 2021 तक, तीन मंत्रालयों- गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय पर केवल वीवीआईपी उड़ानों के लिए एयर इंडिया का 33.7 करोड़ रुपये का बकाया है। संचार मंत्रालय के तहत डाक और तार महानिदेशक के कार्यालय को एयर इंडिया को 3.8 करोड़ रुपये का भुगतान करना है। कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के तहत कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग पर 1.6 करोड़ रुपये बाकी हैं।
​जांच एजेंसियां, रिजर्व बैंक पर भी है बकाया
केंद्रीय जांच ब्यूरो को 67 लाख रुपये, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद को 45 लाख रुपये, पीएसयू पवन हंस को 44 लाख रुपये, भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक को 38 लाख रुपये का भुगतान करना है। वहीं भारतीय रिजर्व बैंक को 34 लाख रुपये और केंद्रीय जल आयोग को 23 लाख रुपये विमानन कंपनी को देने हैं। इंटेलिजेंस ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय जैसी सरकारी एजेंसियां भी एयर इंडिया की उधारी में पीछे नहीं हैं। इंटेलिजेंस ब्यूरो के तहत सूचीबद्ध बकाया रकम कुल मिलाकर लगभग 2 करोड़ रुपये है, जिसमें से एक अनुभाग अधिकारी पर 31 लाख रुपये का बकाया भी शामिल है। ईडी के पास 32 लाख रुपये का बकाया है, जिसमें एक सहायक निदेशक के नाम पर 3 लाख रुपये और मुख्य प्रवर्तन अधिकारी के नाम पर 3.5 लाख रुपये शामिल हैं।
​राज्यसभा और लोकसभा पर उधारी
राज्यसभा में एयर इंडिया के 9 करोड़ रुपये के बिल बकाया हैं। इसमें से 4.7 करोड़ रुपये उच्च सदन सचिवालय के वरिष्ठ कार्यपालक अधिकारी के नाम और 61 लाख रुपये इसके अवर सचिव के नाम हैं।लोकसभा के सचिवालय के कार्यकारी अधिकारी के 17 करोड़ रुपये और सचिवालय के 4.3 करोड़ रुपये बकाया हैं। अन्य 1.8 करोड़ रुपये निचले सदन सचिवालय के अवर सचिव के बाकी हैं।
​दूतावासों और सेना पर बकाया 
भारतीय दूतावासों, उच्चायोगों और वाणिज्य दूतावासों पर एयर इंडिया का 35 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है। इनमें से आधा बकाया 17 करोड़ रुपये यूरोप में राजनयिक मिशनों पर है, इसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में 7 करोड़ रुपये और पश्चिम एशिया और अफ्रीका में 6 करोड़ रुपये के बकाया हैं।
सशस्त्र बलों का बकाया भी करोड़ों में है, खासकर सीमा सुरक्षा बल पर। बीएसएफ अकादमी के निदेशक के कार्यालय पर एयर इंडिया का 45 लाख रुपये बकाया है। उसके बाद बीएसएफ के मिजोरम और कछार सीमांत के डिप्टी कमांडेंट पर 38 लाख रुपये और बीएसएफ के सहायक कमांडेंट पर 24 लाख रुपये बकाया हैं। बीएसएफ के कश्मीर और इंदौर में सहायक प्रशिक्षण केंद्रों पर एयरलाइन का क्रमश: 19 लाख रुपये और 12 लाख रुपये बकाया है।

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