राजस्थान में मंत्री मंडल के बाद उभरे अशंतोष के सुर , विभाग वंटबारे की चर्चा
भोपाल से संपादित राधावल्लभ शारदा एवं जयपुर से रामदयाल मीणा की रपट,
लंबे समय तक चली कवायद के बाद राजस्थान में 15 मंत्रियों का शपथग्रहण हो गया। अशोक गहलोत से लेकर सचिन पायलट तक का दावा है कि नई कैबिनेट में तमाम समीकरण साध लिए गए हैं। हालांकि अंदरखाने की सच्चाई कुछ और ही है। बताया जा रहा है कि मंत्रियों के विभाग के बंटवारा गहलोत का नया सिरदर्द बन गया है।
हाईकमान से संकटमोचक बनने की आस
रविवार को अशोक गहलोत मंत्रिमंडल में 15 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई। इसमें तीन मंत्री ऐसे हैं जिनका प्रमोशन किया गया। वहीं विभिन्न जाति-वर्ग को ध्यान में रखते हुए मंत्रियों का चयन किया गया है। वहीं अब विभाग के बंटवारे को लेकर समस्या गहराने लगी है। आज तक के मुताबिक अब इस समस्या के निपटारे दिल्ली की तरफ देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को उम्मीद है कि आलाकमान ने पूर्व में उन्हें जिस तरह से सियासी संकट से उबारा था, इस बार उनके लिए संकटमोचक बनेंगी।
असल में सभी समीकरणों को साधने और असंतुष्टों को संतुष्ट करने के लिए कैबिनेट पुनर्गठन किया गया। लेकिन मंत्री पद पाने के बावजूद कई विधायक अभी भी संतुष्ट नहीं हैं। मामला तब बिगड़ गया जब सचिन पायलट के करीबी विधायक बृजेंद्र सिंह ओला ने ऑब्जेक्शन कर दिया। उनका कहना था कि चार बार के विधायक होने के बावजूद उन्हें राज्यमंत्री बनाया जा रहा है। जबकि दो-दो बार के विधायकों के कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है। जानकारी के मुताबिक इसके बाद उन्हें स्वतंत्र प्रभार से अच्छा विभाग देने की बात कहकर संतुष्ट कराया गया है।
शपथ ग्रहण के ही दिन शुरू हो गया था विरोध
बता दें कि कैबिनेट विस्तार के दिन यानी रविवार से ही कांग्रेस विधायकों की नाराजगी सामने आने लगी थी। 15 नए मंत्रियों के शपथ ग्रहण से ऐन पहले ही कांग्रेस विधायक शाफिया जुबैर ने अपनी नाखुशी जाहिर कर दी थी। उनका कहना था कि कुछ सक्षम लोगों ने उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर छोड़ दिया है। वहीं अलवर के विधायक टीकाराम जूली को मंत्री बनाए जाने पर सवाल उठाते हुए एक अन्य विधायक जौहरी लाल मीणा ने उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। मीणा ने जूली को मंत्री बनाए जाने पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि हमारे अलवर जिले में हर कोई जानता है कि टीकाराम जूली एक भ्रष्ट आदमी हैं। उनका परिवार कलेक्शन में शामिल रहा है।
वहीं विरोध का सिलसिला देर रात तक चलता रहा। कांग्रेस विधायक दयाराम परमार ने अशोक गहलोत को चिट्ठी लिखकर पूछा था कि ऐसा लगता है कि मंत्री बनने के लिए कुछ विशेष योग्यताओं की जरूरत होती है। कृपया मुझे बताएं कि वे योग्यताएं क्या हैं ताकि मैं भविष्य में मंत्री बनने के लिए उन्हें हासिल कर सकूं। वहीं एक अन्य कांग्रेसी विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा ने रविवार को कांग्रेस महासचिव व प्रदेश प्रभारी अजय माकन से मुलाकात की थी। पार्टी सूत्रों का दावा था कि बैरवा भी मंत्री बनने की दौड़ में थे, लेकिन उन्हें शामिल नहीं किया गया।