पेगासस जासूसी -- इजरायल केराजदूत बोले- ये भारत का आंतरिक मामला, सुप्रीम कोर्ट ने दिए जांच के आदेश
भोपाल से संपादित राधावल्लभ शारदा एवं लवली खनूजा की रपट
भारत में इजरायल के राजदूत ने पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में ही कहा कि पेगासस मामले में जांच की उनकी सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं है। उन्होंने कहा कि यह भारत का आंतरिक मामला है।
भारत में नवनियुक्त इजरायली राजदूत।
पेगासस स्पाईवेयर के जरिए गैरकानूनी तरीके से जासूसी करने के कथित मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जांच के आदेश दिए हैं। इसके एक दिन बाद ही भारत में इजरायल के नए राजदूत नाओर गिलन ने कहा है कि यह भारत का आंतरिक मामला है और इसमें उन्हें नहीं घसीटा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि एनएसओ ग्रुप जो कि यह सॉफ्टवेयर बनाता था, बिना लाइसेंस के स्पाईवेयर को एक्सपोर्ट नहीं कर सकता। इजरायली सरकार केवल सरकारों को यह सॉफ्टवेयर उपलब्ध करवाने का ही लाइसेंस देती है।
अपना पदभार ग्रहण करने के बाद गिलन ने पत्रकारों के साथ हुई पहली बातचीत में यह बात कही गई। उनसे जब सवाल पूछा गया कि क्या इजरायल की सरकार इस जांच में सहयोग करेगी तो उन्होंने सीधा कह दिया कि एनएसओ एक प्राइवेट कंपनी है और कुछ शर्तों के साथ सरकार इसे लाइसेंस देती है। इससे ज्यादा सरकार का इसके साथ कोई लेना-देना नहीं है।
गिलन ने कहा, भारत में जो कुछ भी हो रहा है यह पूरी तरह से आंतरिक मामला है और मैं इसमें नहीं पड़ना चाहता। द इंडियन एक्सप्रेस ने बाद में यह बता लगाने की भी कोशिश की कि क्या इजरायली सरकार के पास कोई सूची है जिसमें उन देशों का नाम हो जिन्हें स्पाईवेयर दिया गया है। कल शाम तक इस बारे में इजरायली सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
अन्य देशों में कहां तक पहुंची जांच?
भारत की तरह कई अन्य देशों में भी पेगासस जासूसी की जांच के आदेश दिए गए लेकिन अभी कोई नतीजा नहीं हासिल हुआ है। मैक्सिको में अब तक 16 करोड़ की राशि खर्च की जा चुकी है। जांच के चार साल पूरे होने पर भी यहां कोई गिरफ्तारी नहीं हुई और न ही किसी को इस्तीफा देना पड़ा।
फ्रांस में भी जांच चल रही थी। पेगासस जासूसी कांड में पांच मंत्रियों और कई पत्रकारों का नाम आया था। इस कांड ने फ्रांस और इजरायल के संबंधों पर असर डाला। इसके बाद दोनों देशों के बीच आगे से इस तरह के स्पाईवेयर के इस्तेमाल पर रोक लगाने को लेकर समझौता हो गया।
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