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पूजा विधि में पान का पत्ता एवं सुपारी का महत्व क्या है l

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*पूजाविधि में पान का पत्ता एवं सुपारी का महत्त्व क्या है ?*

पान के पत्तों का ब्रह्मलोक की सूक्ष्म वायु-तरंगों के गुणों से साधम्र्य होता है । पान के पत्तों के रंगकणों के घर्षण से उत्पन्न होनेवाली सूक्ष्म वायु-तरंगें ब्रह्मलोक के सूक्ष्म वायुतरंगों के गुणों से साधम्र्य दर्शाती हैं । देवता की मूर्ति से प्रक्षेपित सात्त्विक-तरंगें पान के पत्ते के डंठल से ग्रहण की जाती हैं । इससे पत्तों के रंगकणों में होनेवाली गतिविधि से उत्पन्न सूक्ष्म वायु पत्तों के आपतत्त्व-संबंधी कणोंद्वारा पत्तों के अग्र भाग की ओर प्रवाहित की जाती है और वहां से वातावरण में प्रक्षेपित होती है । इन वायु-तरंगों में ब्रह्मांड में कार्यरत आवश्यक देवता की इच्छा-तरंगों को जागृत करने की क्षमता होती है । इन तरंगों के कारण जीव के मनोमयकोष की शुद्धि होती है एवं जीव को इच्छित फलप्राप्ति होती है । पूजा में रखी हुई सुपारी, सिक्का एवं पान की ओर पूजा में आवाहित देवता के तत्त्व का प्रवाह आकृष्ट होता है ।’ सुपारी देवताओं से जीव की ओर प्रक्षेपित चैतन्य के आदान-प्रदान में मुख्य कडी है । श्रद्धा गुप्ता के द्वारा संपादित*

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