भोपाल

पुलिस में एफआईआर दर्ज कराने के लिए रिश्वत दो और एफआईआर दर्ज न करने के लिए रिश्वत दो

भोपाल

भोपाल , भोपाल की पुलिस के आगे नतमस्तक है देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी,देश के गृहमंत्री अमित शाह , प्र्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान , पुलिस महानिदेशक विवेक जोहरी के आदेश ,
सबसे पहले मामला समझें 
    मेरे द्वारा एक उच्च स्तरीय भ्रष्टाचार का मामला राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में  दर्ज कराया , मामला प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, राजा पटेरिया, और आर के डी एफ कालेज के मालिक सुनील कपूर के खिलाफ था ।
यदि जांच एजेंसी ईमानदारी से काम करती तो आर के डी एफ कालेज की मान्यता समाप्त हो जाती और शेष लोगों को न्यायालय सज़ा सुनाता ।
2017 से मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है ।
इसी दौरान वर्ष 2018 , 15 नवंबर को मुझे मेरे घर आकर दो लोगों ने पिस्टल दिखाकर कहा कि राजा साहब का मामला वापिस ले अन्यथा मारे जाओगे ,
राजा साहब का मतलब दिग्विजय सिंह से है ।
मैंने अपनी लिखित शिकायत सभी संबंधित विभागों और मंत्रालयों में की गई थी जो आज भी कार्यवाही के इंतजार में टी टी नगर थाने में धूल खा रही है ।
18 - 6 - 2021 को मैंने एक पत्र प्रदेश के पुलिस महानिदेशक विवेक जोहरी को भी लिखा , परन्तु पुलिस एक पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है ।

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भ्रष्टाचार के मामले को राजनीतिक माना 
भोपाल , बहुत पुराना मामला है मैने राज्य अपराध अन्वेषण ब्यूरो में दर्जा कराया था , जांच उपरांत कोर्ट में मामला चला माननीय न्यायालय ने प्रकरण को भ्रष्टाचार का न मानते हुए राजनीतिक माना और निरस्त कर दिया ।
मैंने अपने वकील यावर खान के द्वारा हाई कोर्ट में याचिका दायर की ,हाई कोर्ट में मुझे सुनें बगैर खारिज कर दिया ।
अंततः सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर न्याय मांगा ।
      मामला क्या 
आर के डी एफ कालेज में नियमों को दरकिनार करते हुए अवैध एडमिशन दिये । तत्कालीन मुख्य सचिव ने अपनी प्रतिक्रया व्यक्त करते हुए लिखा था कि गलत परंपरा शुरू हो जायेगी ।
तत्कालीन मंत्री राजा पटेरिया ने अपनी टीप में लिखा कि त्रुटि बस हो गया और 24 लाख के अर्थ दंड को 5 लाख रुपए करने की अनुशंसा कर तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह की स्वीकृति हेतु फाइल भेज दी । तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह ने भी अपने हस्ताक्षर किए ।
मामला सिर्फ एक कालेज की अनियमितता के साथ सत्य साईं इन्स्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी का नाम और जूड़ गया ।
इस पूरे मामले को लेकर राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जिसे भोपाल न्यायालय से छुपाया गया था ।
     विचारणीय विषय है कि क्या यह मामला राजनीतिक है परन्तु कमलनाथ सरकार ने इसे राजनीतिक माना और भोपाल न्यायालय एवं हाई कोर्ट ने भी राजनीतिक माना और निरस्त कर दिया । जबकि पूरा मामला भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है ।

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